Friday, July 10, 2020

वो सृष्टिकर्ता  क्र रहा है रिफ्रैश --दर्शन 'रत्न' रावण

वो सृजक भी है,
माँ की तरह ममता भरा भी,
उसे ख्याल रखना है सभी का 
एक मेरा ही क्यों 
लगता है अगर नाराज़ 
तो मेरा सोचना गलत है 
उसे पता है 
कब खाना देना है, कब दवा 
रात को माँ थपथपा कर सुलाती भी है  
और सुबह स्वप्न तोड़ उठती भी है 
जीना जागते हुए होगा, स्वप्न में नहीं 
बालक बुद्धि क्रोधित हो सकती है 
मगर माँ-बाप की चिंता में होता है 
भविष्य !
हमें आज लग रहा होगा बुरा 
डरावना और भयंकर सा 
हमने जो घर की दीवारों पर 
पेंसिल चला रखी हैं,
पलंग के नीचे जो झूठा बर्तन सरका दिया होगा 
पड़ोसी की छत पर फेंका होगा कचरा 
माँ कह कर नदियों में डाला होगा अपमा गंद 
अपना घर सुन्दर दिखाने की खातिर 
पहाड़ों की खूबसूरती नौच ली जो हमने 
बहुत-सी करप्ट फाइल हैं हमारे सिस्टम में 
अब समय आ गया  
करना होगा पूरा सिस्टम रिफ्रैश 
वो बदलेगा पुराने कपडे भी 
और सड़ी हुई चमड़ी भी 
पंख गिरेंगे
गिरेंगे नई उड़ान के लिए  
उसे याद करो और अपने गुनाहों को 
न मांगो माफ़ी 
बस याद कर लेना ! 

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