Friday, July 10, 2020

निजीकरण काम आ रहा है या सरकारी अमला ? --दर्शन 'रत्न' रावण

करोना से बड़ी है कायरता और मक्कारी  


महाभ्रष्ट लोग जिन दो जगहों पर पाए जाते हैं वो हैं राजनीति और अफसरशाही। यही दोनों निजीकरण के ख़िलाफ़ सबसे बड़े भोंपू रहे हैं। आज जब सारा विश्व अपना  बचाने की लड़ाई लड़ रहा है, यह वो समय है जब ठीक और गलत का सारा परिणाम सामने आ जायेगा। 
 
अभी तक भारत की एक भी निजी एयर लाइन ने अपने आपको इस विकत समय के लिए पेश नहीं किया। यह नहीं कहा कि इस मुश्किल समय में हम देश या मानवता की सेवा करने को तैयार हैं। 

ठीक इसी तरह निजी हॉस्पिटल भी अभी तक खामोश हैं। किसी निजी मुनाफखोर हॉस्पिटल ने यह क्यों नहीं कहा कि हमने 100 बिस्तर का विशेष प्रबंध केवल करोना पीड़ितों के लिए कर लिया है ?

जहाँ तक सफाई कर्मचारी की बात है वो पक्की नौकरी वाला हो या दैनिक मज़दूरी वाला या ठेकेदार के शोषण का शिकार वो हर अवस्था में अपने काम पर मौजूद है। मगर यहाँ भी जाति ही शिकार है। कई-कई माह बिना वेतन के काम कर रहे हैं। 

बैंक, रेलवे सहित कई विभागों में सफाई कर्मचारी की पक्की भर्ती करते वक्त सामान्य वर्ग यानि ब्राह्मण, बनिया और ठाकुर को भी सफाई कर्मचारी की पोस्ट पर भर्ती किया। मगर जातिवाद का पक्ष लेते हुए उन्हें ऑफिस के साफ-सुथरे कामों पर लगा लिया। यह काम स्वर्ण दलित मायावती जी ने भी किया था। 

आज उन सभी को जो भी सड़कों, कूड़े की ट्राली और नालों की सफाई के लिए लगाया जाना चाहिए। सफाई दिवस और स्वच्छ भारत वालों को भी कमरों से बहार आना चाहिए। सब कुछ बेचने में लगे हैं। अगर सरकार चलनी नहीं आती तो सत्ता छोड़ दो या कायरता और मक्कारी छोड़ो। 

मुख्य सवाल निजीकरण और राष्ट्रकृत {Privatized and Nationalized} का है। हमारा देश के नेता और अधिकारी इतने महान हैं कि इन्होंने डॉक्टर और नर्सेज भी ठेके पर रखे हैं और वो सभी ईमानदारी के साथ सफाई कर्मचारी की तरह अपना फ़र्ज़ निबाह रहे हैं।  

{ग़ज़ाला ज़मील जी JNU शुक्रिया ध्यानाकर्षण के लिए}  

No comments:

Post a Comment

एक स्वपन जो मुझे सोने नहीं देता। --दर्शन 'रत्न' रावण

         एक स्वपन जो मुझे सोने नहीं देता। --दर्शन 'रत्न' रावण  सुबह जिसमें पक्षियों की चहक, आज़ान की आवाज़ और गुरुद्वार से आती परम्पर...